Getting My bhairav kavach To Work
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उद्यद्भास्करसन्निभं त्रिनयनं रक्ताङ्गरागस्रजं
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।
ॐ ह्रीं विश्वनाथः सदा पातु सर्वाङ्गं मम सर्वदः ॥ १५॥
एवं भक्त्या यजेद् देवं सर्वसिद्धिः प्रजायते ॥ १०॥
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
सर्वपापक्षयं याति ग्रहणे भक्तवत्सले ॥ १२॥
मन्त्रेण रक्षिते योगी कवचं रक्षकं यतः।।
वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र click here बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।
ಬಂಧೂಕಾರುಣವಾಸಸಂ ಭಯಹರಂ ದೇವಂ ಸದಾ ಭಾವಯೇ
ನಮಸ್ತ್ರೈಲೋಕ್ಯನಾಥಾಯ ನಾಥನಾಥಾಯ ವೈ ನಮಃ
गोपनीयं प्रयत्नेन तत्त्वात् तत्त्वं परात्परम् ।